वायरस ने बदली प्रकृति, इस बार गर्मी में भी सक्रिय है स्वाइन फ्लू
सेहतराग टीम
स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बार एच1एन1 फ्लू यानी स्वाइन फ्लू वायरस की प्रकृति में बदलाव को लेकर हैरान हैं। आमतौर पर सिर्फ सर्दियों में फैलने वाली और गर्मियों से ठीक पहले शांत हो जाने वाली ये बीमारी इस बार बिलकुल अलग तरीके से व्यवहार कर रही है। खासकर मध्य प्रदेश के शहर इंदौर में इस वर्ष तेज गर्मियों के आगमन के बाद भी ये बीमारी गंभीर रूप से पसरी हुई है।
इंदौर में स्वाइन फ्लू से 35 वर्षीय महिला की मौत के बाद मौजूदा साल में यहां इस घातक बीमारी के कारण दम तोड़ने वाले मरीजों की संख्या बढ़कर 60 हो गयी है। यानी औसत आधार पर इस साल स्थानीय अस्पतालों में हर दूसरे दिन स्वाइन फ्लू के एक मरीज ने दम तोड़ा।
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि एच1एन1 संक्रमण के कारण 35 वर्षीय महिला शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय में पांच अप्रैल से भर्ती थी। उपचार के दौरान रविवार 21 अप्रैल को उसकी मौत हो गई।
अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष एक जनवरी से अब तक स्थानीय अस्पतालों के कुल 206 मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। इनमें से 60 लोगों की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है। मृतकों में शामिल 27 मरीज इंदौर जिले के बाहर के निवासी थे।
चिकित्सकों के अनुसार आमतौर पर स्वाइन फ्लू का प्रकोप सर्दियों में अपेक्षाकृत ज्यादा रहता है और गर्मी का मौसम आते-आते इसका असर खत्म या कम हो जाता है। लेकिन इस वर्ष गर्मी के मौसम में भी इस रोग के मौजूदा प्रकोप के मद्देनजर लगता है कि एच1एन1 वायरस ने ऊंचे तापमान के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली है।
इस बीच, गैर सरकारी संगठन स्वाइन फ्लू के प्रकोप से निपटने को लेकर स्वास्थ्य विभाग की नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं। स्वास्थ्य अधिकार मंच के कार्यकर्ता अमूल्य निधि ने कहा, ‘प्रदेश में एच1एन1 वायरस घातक शक्ल अख्तियार कर लगातार मरीजों की जान ले रहा है जिनमें महिलाओं की बड़ी संख्या शामिल है, लेकिन लगता है कि स्वास्थ्य विभाग के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है।’
उन्होंने कहा, ‘यह एक आपातकालीन स्थिति है। स्वास्थ्य विभाग को विषय विशेषज्ञों की तत्काल बैठक बुलाकर जरूरी कदम उठाने चाहिये। स्वाइन फ्लू से मरीजों की मौत के सिलसिले को रोकने के लिए प्रदेश भर में विशेष नियंत्रण एवं निगरानी कक्ष स्थापित किए जाने चाहिए।’
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